Debenture Meaning In Hindi | डिबेंचर क्या होता है?

हैलो दोस्तो SahiShare.com में आपका स्वागत है आज मैं आपको इस लेख के माध्यम से डिबेंचर के बारे में बताऊंगा जिसमे आपको Debenture Meaning In Hindi , डिबेंचर के प्रकार, डिबेंचर कैसे खरीदते है और डिबेंटर के बारे में विस्तार से जानने को मिलेगा तो पहले जानते है:

Debenture Meaning In Hindi

Debenture Meaning In Hindi |डिबेंचर क्या होता है?

Debenture एक प्रकार का ऋण है जिसमे कंपनी बिना अपनी हिस्सेदारी कम किए और बिना किसी collateral के लोगो से पैसा इकट्ठा करती है डिबेंचर एक निश्चित समय के लिए कंपनी द्वारा जारी किया जाता है जिसमे एक fixed interest निवेशक को एक fixed समय तक दिया जाता डिबेंचर को खरीदने वाले निवेशक को debenture holder कहते है और डिबेंचर के maturity period खत्म हो जाने पर निवेशक को पैसे वापस कर दिए जाते है। कंपनी अपनी आवश्यकता के अनुसार long term, medium term और short term के लिए डिबेंचर जारी करती है जिसकी अवधि 5 से 10 साल तक हो सकती है।

Explanation of debentures in hindi

जब किसी कंपनी को पैसे को जरूरत होती है तो कंपनी के पास पैसे इकट्ठा करने के अलग अलग तरीके होते है जिसमे बैंक लोन, शेयर इश्यू, और डिबेंचर आदि शामिल है जिसमे से अगर कंपनी बैंक से लोन लेती है तो उसे collateral के रूप में कोई सम्पत्ति गिरवी रखनी पड़ेगी और अगर कंपनी अपना शेयर मार्केट में इश्यू करती है तो उससे कंपनी की हिस्सेदारी बांट जाती है और कम हो जाती है। लेकिन अगर कंपनी डिबेंचर इश्यू करती है तो उससे कंपनी को न ही कोई संपत्ति collateral रखनी पड़ेगी और न ही कंपनी को अपनी हिस्सेदारी कम करनी पड़ेगी।

डिबेंचर कंपनी द्वारा जारी किया गया एक सर्टिफिकेट या कहे तो एक बॉन्ड होता है जिसमे डिबेंचर से जुड़ी सारी जानकारी दी जाती है जैसे डिबेंचर कितने साल का रहेगा कूपन रेट कितना रहेगा और निवेशक ने कितना पैसा दिया है। डिबेंचर खरीदने वाले निवेशक को Debenture holder कहते है और निवेशक को दिए जाने वाले ब्याज को coupon rate कहते है।

Features of debenture in hindi | डिबेंचर की विशेषता

  • निवेशक को डिबेंचर पर फिक्स्ड इंटरेस्ट मिलता है क्योंकि डिबेंचर एक लोन कि तरह है और कंपनी को ब्याज देना ही पड़ता है चाहे कंपनी प्रॉफिट में हो या लॉस में।
  • कंपनी पब्लिक से लोन लेती है और उसे डिबेंचर सर्टिफिकेट देती है जिसमे निवेशक को पैसा वापस देना है ये लिखा होता है और अगर भविष्य में कंपनी बंद भी हो जाती है तो डिबेंचर होल्डर को पैसा मिल जाता है।
  • निवेशक को ब्याज तो मिलता ही है साथ ने maturity period खत्म होने के बाद उनका पैसा वापस मिल जाता है।
  • डिबेंचर होल्डर को कंपनी पहले पेमेंट करती है चाहे कंपनी प्रॉफिट में हो या लॉस में और अगर कंपनी बंद भी हो जाती है फिर भी डिबेंचर होल्डर को पैसा दिया जाता है।

Types of Debenture In Hindi | Debenture के प्रकार

Types of Debentures In Hindi | डिबेंचर के प्रकार

डिबेंचर के कई अलग अलग प्रकार होते है जिसे अलग अलग आधारों पर बांटा जाता हैं जो नीचे दिए है।

Secured & Unsecured Debenture

Secured debenture: वह डिबेंचर होता है जिसे कंपनी इश्यू करने के लिए अपनी कोई assets गिरवी रखती है जिससे अगर कंपनी भविष्य में पैसे नही दे पाती है या बंद हो जाती है तो निवेशक को एसेट्स बेच कर पैसा दिया जाता है यानी जो डिबेंचर collateral से सुरक्षित होते है उसे secured debenture कहते है।

Unsecured Debenture : इस तरह के डिबेंचर में किसी भी तरह का colletral नही होता है यानी अगर कंपनी पैसे नही दे पाती है या बंद हो जाती है तो निवेशक को पैसे नही मिल पाएगा इसमें निवेशक कंपनी के reputation देख कर निवेश करते है इसलिए इसे unsecured debenture कहते है।

Convertible & Non convertible Debenture

Convertible debenture : वह डिबेंचर जिसे निवेशक शेयर या किसी अन्य सिक्योरिटीज में परिवर्तित कर सकता है उसे convertible debenture कहते है।

Non convertible debenture : जिस डिबेंचर को शेयर या किसी अन्य सिक्योरिटी में परिवर्तित नहीं कर सकते है उसे non convertible debenture कहते है।

Redeemable & Irredeemable Debenture

Redeemable debenture : इसमे कंपनी एक निश्चित समय के लिए डिबेंचर जारी करता है और समय सीमा यानी maturity period खत्म होने के बाद निवेशक से डिबेंचर वापस ले लेता है और उनका पैसा वापस कर दिया जाता है।

Irredeemable debenture : इसमें कंपनी अपनी डिबेंचर वापस नहीं ले सकता है इसलिए इसमें maturity Date  नही लिखी होता है इसमें निवेशक को कंपनी के दिवालिया होने के बाद पैसे मिल सकते है।

Note : Irredeemable debenture india मे जारी नही किए जाते है।

Registered & Bearer Debenture

Registered  debenture : इस प्रकार के डिबेंचर में debenture holder का डिटेल जैसे नाम , पता आदि लिखा होता है और ये जानकारी कंपनी के रजिस्टर में भी दर्ज होता है जिससे debentureholder डिबेंचर को ट्रांसफर नहीं कर सकते है इसके लिए कंपनी के डायरेक्टर की permission लेनी पड़ती है।

Bearer debenture : इस तरह के डिबेंचर में debentureholder का नाम पता आदि नही लिखा होता है जिससे निवेशक इसे आसानी से ट्रांसफर कर सकते है।

Fixed & Floating Interest Rate Debenture

Fixed interest rate debenture : इस तरह के डिबेंचर में निवेशक को एक fixed interest दिया जाता है जो कि डिबेंचर इश्यू करते समय तय किया जाता है।

Floating interest rate debenture : इस तरह के डिबेंचर में कंपनी कोई फिक्स इंटरेस्ट नहीं देती है बल्कि इंटरेस्ट किसी Benchmark के आधार पर बदलता रहता है।

Advantage and disadvantage of Debentures

डिबेंचर निवेश का एक अच्छा साधन है जिसमे निवेशक को एक फिक्स रिटर्न लंबे समय तक मिलता रहता है लेकिन किसी भी सिक्योरिटी में निवेश करने से पहले उसके बार में संपूर्ण जानकारी, उसके फायदे और नुकसान जान लेनी चाहिए तो यहा पर हम डिबेंचर के फायदे और नुकसान के बारे में जानेंगे।

Advantage of Debenture In Hindi

  • डिबेंचर में निवेश करने पर निवेशक को एक फिक्स इंटरेस्ट मिलता है जब तक डिबेंचर की maturity रहती है।
  • निवेशक कनवर्टिबल डिबेंचर को एक निश्चित समय सीमा के बाद इक्विटी शेयर में परिवर्तित कर सकते है।
  • कंपनी के बंद होने की स्थिति में शेयर होल्डर से पहले डिबेंचर होल्डर को भुगतान किया जाता है जिससे यह शेयर से अधिक सुरक्षित निवेश माना जाता है।
  • डिबेंचर जारी करने से कंपनी को ना ही colletral देना पड़ता है न ही equity dilute करनी पड़ती है।

Disadvantage of Debentures In Hindi

  • डिबेंचर में कंपनी फिक्स्ड इंटरेस्ट देती है और ये लंबे समय के लिए होता है इसलिए भविष्य में बढ़ रहे इंटरेस्ट रेट का फायदा नहीं मिल सकता है।
  • Debenture holder को कंपनी में किसी भी तरह का वोटिंग अधिकार नही रहता है और ना ही किस एनुअल मीटिंग में जा सकते है।

Debenture खरीदते समय किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए।

  1. credit rating : Credit rating अलग अलग एजेंसी जैसे CRISIL, ISRA, CARE आदि कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है जिसमे इन एजेंसियां द्वारा रेटिंग दिया जाता है। जिससे हमे डिबेंचर की सुरक्षा के बारे में पता चलता है। जिसमे AAA और AAA+ को अच्छा माना जाता है।
  2. coupon rate : Debenture मे coupon rate ब्याज दर को बोला जाता है जो कंपनी द्वारा दिया जाता है जिसे कंपनी मासिक, त्रिमासिक अर्धमासिक या वार्षिक रूप से इंटरेस्ट का भुगतान करती है।
  3. Issuer’s credibility निवेश करने से पहले आपको जारीकर्ता की स्थिति के बारे में जानना है जैसे की कंपनी को पूंजी की आवश्यकता क्यों है, डिबेंचर की क्रेडिट रेटिंग क्या है और कंपनी कैसी है ये सब जानकारी आपको लेनी है।

How To Buy Debenture In Hindi | आप डिबेंचर कैसे खरीद सकते है

  1. किसी भी कंपनी का डिबेंचर खरीदने के लिए आप कंपनी के ऑफिस से जानकारी ले सकते है या फिर उसके वेबसाइट से भी आप जान सकते है।
  2. कुछ डिबेंचर स्टॉक मार्केट में भी ट्रेड होते है जिसे आप अपने demat account से भी खरीद सकते है।
  3. आप डिबेंचर के ipo या लिस्टिंग के समय भी उसमे निवेश कर सकते है।
  4. डिबेंचर में निवेश करने का एक और तरीका है जिसमे आपको डायरेक्ट डिबेंचर नही खरीदना होता है बल्कि आप डिबेंचर में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड को खरीद सकते है।

Difference Between Shares and debenture

  1. शेयर कंपनी में हिस्सेदारी के छोटे हिस्से को कहते है जबकि डिबेंचर कंपनी द्वारा लिया गया उधार होता है।
  2. शेयर मे निवेश करने वाले निवेशक कंपनी के छोटे हिस्से के मालिक बन जाते है उनके शेयर्स के अनुसार जबकि डिबेंचर में निवेश करने वाले कंपनी के लेनदार होते है।
  3. शेयर्स में निवेश करने वाले निवेशक को शेयरहोल्डर कहते है जबकि डिबेंचर ने निवेश करने वाले को डिबेंचर होल्डर कहते है।
  4. शेयरहोल्डर्स को रिटर्न में Dividend मिलता है और डिबेंचर होल्डर को रिटर्न के रूप में इंटरेस्ट मिलता है।
  5. शेयरहोल्डर को डिविडेंड तभी मिलता है जब कंपनी प्रॉफिट में रहती है लेकिन डिबेंचर होल्डर को ब्याज मिलता ही है चाहे कंपनी प्रॉफिट में हो या लॉस में।
  6. शेयरहोल्डर के पास वोटिंग का अधिकार होता है लेकिन डिबेंचर होल्डर कंपनी में वोट नही कर सकती है।
  7. शेयर को डिबेंचर में नही बदला जा सकता है जबकि कुछ डिबेंचर को शेयर मे बदला जा सकता है।

Difference Between Debenture and Bond In Hindi

Secured : डिबेंचर किसी भी कोलेट्रल से सुरक्षित न होने के कारण असुरक्षित होते है इसमें कंपनी के reputation को देख कर निवेश किया जाता है जबकि bond किसी एसेट्स से collateral होते है जिससे ये अधिक सुरक्षित होते है।

Time : डिबेंचर की समय सीमा कंपनी अपने आवश्यकता अनुसार तय करती है जबकि बॉन्ड लंबे समय के लिए जारी किया जाता है जिसकी अवधि डिबेंचर से ज्यादा होती है।

Investor : डिबेंचर में निवेश करने वाले निवेशक को डिबेंचर होल्डर कहते है जबकि बॉन्ड में निवेश करने वाले को बॉन्ड होल्डर कहते है।

Interest : डिबेंचर होल्डर को इंटरेस्ट रेट ज्यादा दिया जाता है जबकि बॉन्ड होल्डर को कम ब्याज दिया जाता है।

Convertible : कुछ डिबेंचर को इक्विटी शेयर में परिवर्तित किया जा सकता है लेकिन बॉन्ड को शेयर मे नही बदल सकते है।

Priority : कंपनी के दिवालिया या बंद होने की स्थिति में डिबेंचर होल्डर को कम मान्यता दी जाती है और बॉन्ड होल्डर को ज्यादा priority दी जाती है।

FAQ (Debenture Meaning In Hindi)

Q1. Debenture क्या होता है?

Debenture एक प्रकार का ऋण है जिसमे कंपनी बिना अपनी हिस्सेदारी कम किए और बिना किसी collateral के लोगो से पैसा इकट्ठा करती है और निवेशक को फिक्स्ड इंटरेस्ट दिया जाता है।

Q2. Debenture asset है या liability?

Debenture कंपनी के लिए liability होता है और निवेशकके लिए Asset क्योंकि कंपनी को पैसा देना होता है और निवेशक को पैसा मिलता है।

Q3. Debenture का maturity period कितना रहता है?

Debenture का maturity period कंपनी द्वारा तय किया जाता है लेकिन आमतौर पर 5 से 10 साल का रहता है।

Q4. क्या डिबेंचर शेयर मे परिवर्तित हो सकता है?

जी हां, convertible Debenture एक निश्चित समय के बाद इक्विटी शेयर मे बदल सकता है।

Conclusion (Debenture Meaning In Hindi)

दोस्तो आज के इस लेख के माध्यम से आप ने डिबेंचर के बारे में सीखा कि डिबेंचर क्या होता है ,Debenture Meaning In Hindi, डिबेंचर कितने प्रकार के होते है और आप कैसे डिबेंचर खरीद सकते है इन सबके बारे में सीखा है उम्मीद है आपको डिबेंचर अच्छे से समझ आया होगा और अगर आपके मन में कोई सवाल है या आप कुछ पूछना चाहते है तो कमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद

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